फिर से रोना आ रहा है
दर्द ए दिल बार बार
उभर रहा है ;
आसूँ यह ना रुके
ना रोका जाए
प्यार का खालीपन
मेहसूस फिर से हो रहा है !
फिर से रोना
आ रहा है ।

बारिश के बूंदों से
छिपालु यह आसूँ ,
तेज हवाए छूना पाए
मेरे जख्म को ;
पूरे कायनाथ में हूं अकेला
पुकारू भी तो ना सुने वह
आसूँओ को पोछे आके
यह बात तो रहने ही दो ।

ना सिद्दत हे उसको मुझे दुबारा पाने की
ना बिछड़ने का भी है
रेत जितना गम ;
कलाइयों में चूरी अब वह
पहनेगी किसी और नाम की ,
पहनभी लेगी किसी और के
हाथों से वह सिंदूर !
जिद तोड़के फिरभी
ना आयेगी दुबारा पास मेरे
लेख ही जो ना लिखा रबने
उसे किस्मत में मेरे ।

  • दिनेश कुमार आचार्य
    10.4.22

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